CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT वैष्णव धर्म

Considerations To Know About वैष्णव धर्म

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सम्यक् प्रदीयत इति सम्प्रदाय:- गुरुपरम्परा सम्यक् रूप से चली आ रही है और जिसमें गुरु शिष्य को सम्यक रूप से मंत्र आराध्य, आराधना तथा आचार पति प्रदान करता है उसका नाम सम्प्रदाय है। धर्म का पथ विशेष सम्प्रदाय कहलाता है। वैष्णव धर्म इसका अपवाद नहीं है। वैष्णव धर्म का सर्वेक्षण करने पर ज्ञात होता है।

वासुदेव अथवा भागवत धर्म की प्राचीनता ईसा-पूर्व पांचवी शती तक जाती है। महर्षि पाणिनी ने भागवत धर्म तथा वासुदेव की पूजा का उल्लेख किया है। उन्होंने वासुदेव के उपासकों को वासुदेवक कहा है। प्रारंभ में मथुरा तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में यह धर्म प्रचलित था। यूनानी राजदूत मेगस्थनीज शूरसेन (मथुरा) के लोगों को हेराक्लीज का उपासक बाताता है, जिससे तात्पर्य कृष्ण से ही है। सिकंदर के समकालीन यूनानी लेखक हमें बताते हैं, कि पोरस की सेना अपने समक्ष हेराक्लीज की मूर्ति रखकर युद्ध करती थी। भागवत धर्म के कृष्ण को सर्वोच्च देवता मानकर उनकी भक्ति द्वारा मोक्ष प्राप्ति का विधान प्रस्तुत किया गया था। महावीर तथा बुद्ध की ही भाँति वासुदेव कृष्ण को भी अब ऐतिहासिक व्यक्ति माना जा चुका है। वे कृष्ण कबीले के प्रमुख थे। ईस्वी सन् के प्रारंभ होने से पूर्व ही उनकी देवता के रूप में पूजा प्रारंभ हो चुकी थी। गीता में स्वयं कृष्ण ने अपने को वृष्णियों में वासुदेव कहा है।

शाहजहाँ का साम्राज्य विस्तार और उत्तराधिकार का युद्ध

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प्रीयतेऽमलया भक्त्या हरिरन्यद् विडंबनम।।

वैष्णव भन्नाले विष्णो: अनुयायी भगवान् विष्णु सम्बंधित सम्पूर्ण वस्तुलाई वैष्णव भन्ने गरिन्छ । जस्तै १८ पुराणमा केही वैष्णव छन जस्तै विष्णु, भागवत, नारद, गरुड, पद्म, अग्निलाई वैष्णव पुराण भनिन्छ भने अन्य शैव र केही शाक्त पुराण मानिन्छन् । त्यस्तै संप्रदायलाई वैष्णव सम्प्रदाय, भागवत धर्म, वैष्णव धर्मको प्राचीन नाम भागवत धर्म अथवा पाञ्चरात्र मत हो । यस सम्प्रदायको प्रधान उपास्य भगवान वासुदेव विष्णु हुन, जसलाई छ: गुणहरू ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य र तेजदेखि सम्पन्न हुनाले भगवान भनिएको छ र उनै भगवानका उपासकलाई वैष्णव भागवत कहिएको छ । यस सम्प्रदायलाई पाञ्चरात्र संज्ञाको सम्बन्धमा अनेकौ मतमतान्तर रहेका छन् ।[१] विष्णुको अवतार मा पर्ने राम कृष्ण इत्यादि सम्बन्धित हरेक वस्तु लाई वैष्णव अन्तर्गत लिने गरिन्छ । भने राम उपासक कृष्ण उपासक खास गरी विष्णु उपासक नै वैष्णव भनेर जानिन्छ्न ।

वैदिक काल से गुप्त काल तक वैष्णव धर्म का विकास

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वैष्णव धर्म का दृष्टिकोण here सार्वजनिक और व्यापक था गीता के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या और सन्यास अनिवार्य नहीं है मनुष्य गृहस्ती में रहते हुए भी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है

(“dualism”) of the philosopher Madhva, the perception that God and the soul are different entities and which the soul’s existence is dependent on God. The Pushtimarg sect maintains the shuddhadvaita

चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ओउम जय।।

पुराणों में विष्णु के दस अवतारों का विवरण प्राप्त होता है, जो इस प्रकार हैं-

The Vaishnavism sampradayas subscribe to varied philosophies, are identical in some facets and vary in Some others. when put next with Shaivism, Shaktism and Smartism, the same array of similarities and variances emerge.[315] Comparison of Vaishnavism with other traditions

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